डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज क्या है?
डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज (डीडीडी) को अपकर्षक कुंडल रोग भी कहा जाता है। रीढ़ की हड्डी में मौजूद एक या एक से ज्यादा डिस्क के कमजोर होने पर यह स्थिति उत्पन्न होती है। डीडीडी कोई बीमारी नहीं बल्कि समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ने वाली स्थिति है, ये किसी चोट या किसी अन्य कारण से हो सकती है। डिस्क, रीढ़ की हड्डी के वर्टिब्रा के बीच में होती हैं। यह पीठ को लचीला बनाए रखने में मदद करती हैं, जिससे कि आप झुक व मुड़ सकें। इसके अलावा यह सीधा खड़े होने में भी मदद करती हैं। कुछ लोगों में डिस्क टूटने लगती हैं या ठीक तरह से काम नहीं कर पाती है। समय के साथ डीडीडी की समस्या और खराब हो सकती है, जिसकी वजह से हल्के से लेकर तेज दर्द हो सकता है जो कि रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत पैदा कर सकता है।
जब कुशन दूर हो जाते हैं, तो हड्डियाँ आपस में रगड़ना शुरू कर सकती हैं। यह संपर्क दर्द और अन्य समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे:
- वयस्क स्कोलियोसिस, जहां रीढ़ की हड्डी झुकती है।
- हर्नियेटेड डिस्क, जिसे उभड़ा हुआ, स्लिप्ड या टूटा हुआ डिस्क भी कहा जाता है।
- स्पाइनल स्टेनोसिस, जब आपकी रीढ़ के आसपास की जगह संकरी हो जाती है।
डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज के लक्षण हैं?
डिजेनेरेटिव डिस्क से आपको कमर या गर्दन में दर्द हो सकता है। लेकिन यह हर व्यक्ति के मामले में अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोगों को दर्द नहीं होता है, जबकि कुछ लोगों की स्पाइन में समान नुकसान पहुंचने पर गंभीर दर्द होता है। डिस्क में दर्द कहां होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिस्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित है।